Top Shiva Temples In Bihar: देश भर में प्रसिद्ध बिहार के इन शिवालयों में जरूर करें शिव दर्शन, होगी हर मनोकामना पूर्ण
Famous Shiv Mandir In Bihar |
Bihar Shiv Temples Photos: भगवान शिव के प्रिय सावन मास की शुरुआत हो गयी है। इसलिए देशभर के शिवालयों में शिवभक्तों की भीड़ देखी जा रही है। वैसे तो साल भर बिहार के इन प्रसिद्ध शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ी रहती है, लेकिन सावन के महीने में यहां का नजारा देखने लायक होता है।
आज के इस आर्टिकल में हम आपको बिहार के उन शिव मंदिरों के बारे में बताने जा रहे है जिनके दर्शन करने के लिए लोग सावन में दूर दूर से आते है। तो आइये जानते है कौन से है वो शिवालय-
श्री गरीबनाथ धाम
Bihar Shiv Temples |
बिहार के मुजफ्फरपुर में गरीबनाथ धाम महादेव का प्रसिद्ध मंदिर है। 'बाबा गरीबनाथ मंदिर' को राज्य का 'देवघर' भी कहा जाता है। सावन के महीने में गरीबनाथ धाम श्रद्धालुओं के आस्था और श्रद्धा का केन्द्र रहा है। यहां आने वाले शिव भक्त 'मनोकामनालिंग' के तौर पर पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में भक्ति-भाव से मांगी गई भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती हैं। इसलिए बाबा गरीबनाथ मंदिर 'मनोकामनालिंग' के नाम से भी मशहूर है। इस मंदिर में सावन महीने में विशाल श्रावणी मेले का आयोजन होता है। सावन के महीने में इस मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। देवघर की तर्ज पर बाबा गरीबनाथ धाम में भी डाक बम गंगा जल लेकर महज 12 घंटे में बाबा का जलाभिषेक करने की परंपरा रही है। यहां पर कांवड़िया (Kanwar Yatra) सोनपुर के पहलेज घाट से जल लेकर चलते हैं और 70 किमी दूरी तय कर बाबा गरीबनाथ पर जलाभिषेक करते हैं।
बाबा गरीबनाथ मंदिर |
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बाबा गरीबनाथ धाम का करीब तीन सौ साल पुराना इतिहास रहा है। मान्यता है कि पहले यहां पर घना जंगल था और इन जंगलों के बीच सात पीपल के पेड़ थे। बताया जाता है कि पेड़ की कटाई के समय खून जैसे लाल पदार्थ निकलने लगे और यहां से एक विशालकाय शिवलिंग मिला। लोग बताते हैं कि जमीन मालिक को बाबा ने स्वपन में दर्शन दिया, तब से ही यहां पूजा-अर्चना हो रही है। ये शिव मंदिर पूरे प्रदेश के प्रसिद्ध शिवालयों में से एक है।
कोटेश्वर नाथ धाम
Famous Shiv Mandir In Bihar |
बिहार के गया जिला स्थित बेलागंज प्रखंड के मेन गांव में मोरहर और दरघा नदी के संगम पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर 'बाबा कोटेश्वर नाथ धाम' भक्तों के आस्था का केंद्र है। यहां सहस्त्र लिंगी महादेव कोटेश्वर नाथ मंदिर के गर्भ गृह में स्थित हैं। दक्षिण भारतीय कला से नवनिर्मित मंदिर का गुंबज गांव के आरंभ से ही दृष्टिगोचर होने लगता है। मंदिर से 100 मीटर उत्तर दिशा में अति प्राचीन विशाल पीपल का पेड़ है। इसकी टहनी धरती को छूती हुई मंदिर की ओर रुख करती हुई प्रतीत होती है। ऐसा लगता है मानो पीपल के पेड़ की सारी टहनियां महादेव कोटेश्वर नाथ को नमन कर रही
हो। यहां अवस्थित सहस्त्र लिंगी महादेव और पीपल का वृक्ष अपनी महिमा और ख्याति से श्रद्धालुओं तथा पर्यटकों को अपने ओर काफी आकर्षित करता है। पर्यटक बाबा कोटेश्वर नाथ मंदिर के सहस्त्र लिंगी शिवलिंग का दर्शन कर सुखद एहसास करते हैं। इस मंदिर के गर्भगृह की मुख्य विशेषता यह है कि इसका निर्माण एक शिलापट से हुआ है, जिसमें कहीं भी आपको किसी प्रकार की ईट, बालू, गिट्टी, छड़, सीमेंट नजर नहीं आएगा। यह पूर्ण रूप से एक शिलापट पत्थर से निर्मित मंदिर है।
बाबा कोटेश्वर नाथ धाम |
यह एक पौराणिक शिव मंदिर है। दूर दूर से यहां लोग पूजा करने आते हैं और उनकी प्रत्येक मनोकामना पूर्ण होती है। माना जाता है कि कोटेश्वरनाथ मंदिर 5वीं शताब्दी के आसपास बनाया गया था। यह वही जगह है जहां राक्षस वानासुर की बेटी उषा को भगवान श्री कृष्ण के पोते अनिरुद्ध से प्रेम हुआ था, जिसका विवाह स्वयंभू भगवान शिव ने ही कराया था। कहा जाता है उषा अनिरुद्ध से शादी की मनोकामना के लिए भगवान शिव की पूजा करने के लिए मंदिर गई थी। पूजा के दौरान भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें अपनी इच्छा पूरी करने के लिए एक हजार शिवलिंग स्थापित करने के लिए कहा। उसके बाद उषा ने यहां 1008 लघु शिवलिंग से समाहित एक बड़े आकार के शिवलिंग की स्थापना की। इसके परिणामस्वरूप भगवान शिव ने उषा को वरदान दिया जिसके बाद उषा को भगवान कृष्ण के पोते अनिरुद्ध से विवाह हुआ।
प्रसिद्ध अजगैबीनाथ मंदिर
Bihar Shiv Temples |
भारत के बिहार राज्य के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज में स्थित 'अजगैबीनाथ मंदिर' भगवान शिव के दुर्लभ प्राचीन हिंदू मंदिरों में से एक है। यह गंगानदी के तट पर बसा हुआ है। यह भारत का एकमात्र ऐसा मन्दिर है, जहां एक ही शिवलिंग पर दो भगवान की पूजा होती है। मंदिर की दिव्यता अलौकिक है। इसका प्रांगण मनमोहित करने है वाला है और यहाँ के पत्थरों पे उत्कृष्ट नक्काशी एवं शिलालेख श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। यह मंदिर ग्रेनाइट पत्थर से बना हुआ है। पहले मंदिर के चारों ओर गंगा बहती थी। अब भी सावन मास के समय मंदिर के पास गंगा पहुंच जाती है। पूर्व में श्रद्धालुओं को बाबा अजगवीनाथ के दर्शन के लिए नाव से जाना होता था। अब पुल बन जाने से मंदिर जाने में सहूलियत हो गयी है।
अजगैबीनाथ मंदिर |
सुल्तानगंज स्थित प्रसिद्ध अजगैबीनाथ मंदिर में स्थापित मनोकामना शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। उत्तरवाहिनी गंगा होने के कारण सावन के महीने में लाखों कांवडि़ए देश के विभिन्न भागों से गंगाजल लेने के लिए यहां आते हैं। यह गंगाजल झारखंड राज्य के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ को चढ़ाते हैं। बाबा बैद्यनाथ धाम भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। सुल्तानगंज उत्तरवाहिनी गंगा तट पर बसे अजगैबीनाथ मंदिर की महिमा अपरंपार है। यहां श्रावणी मेले का बहुत महत्व है और इसे मंदिर में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। अजगैबीनाथ मंदिर की अपनी मान्यताएं हैं।
बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर
Famous Shiv Mandir In Bihar |
बिहार के बक्सर (Buxar) जिले के ब्रह्मपुर में 'बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर' को दूसरा बाबा धाम भी कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, इस मंदिर में शिवलिंग को ब्रह्माजी ने हाथों से स्थापित किया था। शिव महापुराण की रुद्र संहिता में यह शिवलिंग धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला है। यही कारण है कि इसे मनोकामना महादेव भी कहा जाता है। ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इस मंदिर का मुख्य दरवाजा पश्चिम मुखी है जबकि देश के अन्य शिव मंदिरों का दरवाजा पूर्व दिशा में है।
बताया जाता है कि ब्रह्मेश्वर नाथ के दरबार में जो भी आता है, उसकी मनोकामना पूरी करते हैं। इन्हें मनोकामना महादेव भी कहा जाता है। ब्रह्मेश्वर शिव मंदिर का गर्भगृह बहुत बड़ा है। मंदिर में प्रवेश करते ही आध्यात्मिक ऊर्जा का एहसास होता है। कहा जाता है कि मंदिर की सफाई करने वाले कुष्ठ रोगी भी बाबा की कृपा से ठीक हो जाते हैं। मंदिर के पास बहुत बड़ा तालाब है। इस तालाब से मंदिर की खूबसूरती ओर बढ़ जाती है। मंदिर के पुजारी का कहना है कि बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ जी का यह मनोकामना लिंग है। भगवान शिव ने माता पार्वती के साथ जिस अवधि में विवाह किया, उसी काल में इनकी स्थापना हुई है। यहां जलाभिषेक का महत्त्व साल भर है, लेकिन सावन (sawan) में कांवड़ियों का जलाभिषेक का विशेष महत्व है। यही कारण है कि सावन महीने में बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ (baba brahmeshwar nath) का दर्शन करने लाखों की संख्या में लोग आते हैं।
बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर |
इस मंदिर के लिए कथा प्रचलित है कि जब मुस्लिम शासक मोहम्मद गजनी ब्रह्मपुर आया था। तब यहां के लोगों ने गजनी से अनुरोध किया कि इस शिव मंदिर को न तोड़े, नहीं तो बाबा उसका विनाश कर देंगे। इसी बात को लेकर गजनी ने बाबा ब्रह्मेश्वर को चैलेंज किया था। गजनी ने कहा कि ऐसा कोई देवता नहीं है अगर है, तो मंदिर का प्रवेश द्वार जो पूरब दिशा में है वह रात भर में पश्चिम की ओर हो जाए। अगर ऐसा होता है, तो वह मंदिर को छोड़ देगा और कभी मंदिर के पास नहीं आएगा। अगले दिन गजनी जब मंदिर का विनाश करने आया तो दंग रह गया। उसने देखा कि मंदिर का प्रवेश द्वार पश्चिम की तरफ हो गया है। इसके बाद वह वहां से हमेशा के लिए चला गया।
दोस्तों इस सावन आप भी बिहार के इन प्रसिद्ध शिव मंदिरों के दर्शन एवं पूजन करें और भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करें। भगवन भोलेनाथ आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें इसी शुभ कामना के साथ ॐ नमः शिवाय 🌹🌿🌹
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