Ram Navami 2023 Ram Raksha Stotra Path: राम नवमी पर एक सरल पाठ, लाए हज़ार खुशियाँ साथ। इस विधि से करें रामरक्षा स्त्रोत का पाठ। यहां जानिए-
मुख्य बातें
इस साल राम नवमी 30 मार्च, बुधवार को है।
रामनवमी के दिन भगवान राम का जन्मदिन मनाया जाता है।
राम रक्षा स्तोत्र का पाठ शांत मन से करना चाहिए।
रामरक्षा स्तोत्र के पाठ से जीवन में आने वाली मुश्किलें दूर होती हैं।
Ram Raksha Stotra Path: चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन को राम नवमी के नाम से जाना जाता है। इस साल चैत्र शुक्ल की नवमी तिथि 30 मार्च, बुधवार को है। यह चैत्र नवरात्रि का आखिरी दिन होता है। हिंदू धर्म ग्रंथों में भगवान राम की कृपा पाने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए कई मंत्र, स्तुतियां और स्तोत्र पाठ का जिक्र किया गया है। उस पर भगवान राम की कृपा पाने के लिए उनके जन्मोत्सव का दिन सर्वश्रेष्ठ होता है। माना जाता है कि इन मंत्र और स्त्रोतों का जाप करने से भगवान राम को प्रसन्न किया जा सकता है। ऐसे ही मंत्रों और स्तोत्र में से एक है राम रक्षा स्तोत्र का पाठ।
रामनवमी के दिन रामरक्षास्त्रोत का भी विशेष महत्व माना जाता है। वैसे तो रामरक्षास्त्रोत पाठ को कभी भी शुरू किया जा सकता है, लेकिन कहा जाता है कि रामरक्षास्त्रोत के पाठ की शुरूआत नवरात्रि से ही की जानी चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में आ रही सभी प्रकार की मुश्किलें दूर होती है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको रामरक्षा स्त्रोत का महत्व और सम्पूर्ण पाठ के बारे में बताएंगे। आइए जानते हैं-
रामरक्षास्त्रोत पाठ का महत्व
रामरक्षास्त्रोत एक रक्षा कवच है, अत: नवरात्रि में इसका महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। राम रक्षास्त्रोत पाठ की नवरात्रि में ही शुरूआत करने से इसका अत्यधिक लाभ मिलने के साथ ही फल भी जल्द ही
मिलता है। इसका पाठ करने से मनुष्य भय रहित हो जाता है। इसके नित्य पाठ से सब कष्ट दूर होते हैं। जो लोग इसका रोज़ाना पाठ करते है वो दीर्घायु, सुखी, संततिवान, विजयी और विनयसंपन्न होते है। इसके शुभ प्रभाव से व्यक्ति के चारों और सुरक्षा कवच बनता है, जिससे हर प्रकार की विपत्ति से उसकी रक्षा होती है। कहा जाता है कि इसके पाठ से भगवान राम के साथ पवनपुत्र हनुमान भी प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा एक खास बात ये भी है कि इस पाठ को हर दिन करना होता है।
ऐसे करें राम रक्षा स्त्रोत का पाठ
भगवान राम के कृपा के पात्र बनना चाहते हैं तो राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने के लिए सबसे जरूरी है कि विधि पूर्वक इसका पाठ किया जाए। रामनवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान राम की मूर्ति के आगे बैठ जाएं और शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इसके बाद भगवान राम को फूल और माला अर्पित कर उन्हें तिलक लगाएं। फिर कुशा के आसन पर बैठ जाएं और शांत मन से पूरे भक्ति भाव के साथ राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें। यदि आप खुद से राम रक्षा स्तोत्र का पाठ नहीं कर सकते तो किसी योग्य ब्राह्मण की मदद से इस पाठ को करवा सकते है।
श्री राम रक्षा स्त्रोत का पाठ
(संस्कृत एवं हिंदी अर्थ सहित)
विनियोग:
।। ॐ श्री गणेशाय नमः ।।
अस्य श्रीरामरक्षास्त्रोतमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः ।
श्री सीतारामचंद्रो देवता ।
अनुष्टुप छंदः। सीता शक्तिः ।
श्रीमान हनुमान कीलकम ।
श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्त्रोतजपे विनियोगः ।
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपदमासनस्थं,
पीतं वासो वसानं नवकमल दल स्पर्धिनेत्रम् प्रसन्नम ।
वामांकारूढ़ सीता मुखकमलमिलल्लोचनम्नी,
रदाभम् नानालंकारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डलम् रामचंद्रम ॥
राम रक्षा स्तोत्रम्:
चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम् ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥1॥
ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।
सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरान्तकम् ।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ॥3॥
रामरक्षां पठेत प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।
शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः ॥4॥
कौसल्येयो दृशो पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुति ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः ॥5॥
जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवन्दितः ।
स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ॥6॥
सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः ।
उरु रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृताः ॥8॥
जानुनी सेतुकृत पातु जंघे दशमुखांतकः ।
पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामअखिलं वपुः ॥9॥
एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृति पठेत ।
स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥10॥
पातालभूतल व्योम चारिणश्छद्मचारिणः ।
न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः ॥11॥
रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन ।
नरौ न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥12॥
जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् ।
वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत ।
अव्याहताज्ञाः सर्वत्र लभते जयमंगलम् ॥14॥
आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः ।
तथा लिखितवान् प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः ॥15॥
आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम् ।
अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान स नः प्रभुः ॥16॥
तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥17॥
फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।
रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ॥19॥
आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशा वक्ष याशुगनिषङ्गसङ्गिनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम ॥20॥
सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन् मनोरथान नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः ॥21॥
रामो दाशरथी शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः ॥22॥
वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः ।
जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेयपराक्रमः ॥23॥
अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः ॥24॥
रामं दुर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम ।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नरः ॥25॥
रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं,
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम ।
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शांतमूर्तिं,
वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम ॥26॥
रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ॥27॥
श्रीराम राम रघुनन्दनराम राम,
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम,
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥28॥
श्रीराम चन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि,
श्रीराम चंद्रचरणौ वचसा गृणामि ।
श्रीराम चन्द्रचरणौ शिरसा नमामि,
श्रीराम चन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥29॥
माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः स्वामी,
रामो मत्सखा रामचन्द्रः ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर्नान्यं,
जाने नैव जाने न जाने ॥30॥
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम् ॥31॥
लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथं ।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये ॥32॥
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये ॥33॥
कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम ।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम ॥34॥
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥35॥
भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम् ।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ॥36॥
रामो राजमणिः सदा विजयते,
रामं रमेशं भजे रामेणाभिहता,
निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं,
रामस्य दासोस्म्यहं रामे चित्तलयः,
सदा भवतु मे भो राम मामुद्धराः ॥37॥
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्त्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥38॥
॥ इति श्रीबुधकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं संपूर्णम् ॥
॥ श्री सीतारामचंद्रार्पणमस्तु ॥
दोस्तों अगर आप भी भगवान राम को प्रसन्न कर उनकी कृपा पाना चाहते हैं तो रामरक्षास्त्रोत का पाठ जरुर करें। आपको हमारा ये आर्टिकल कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताये। बाकी अन्य आर्टिकलस के लिए हमेशा ऐसे ही बने रहिये आपकी अपनी वेबसाइट www.99advice.com के साथ।
(Disclaimer:
इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। www.99advice.com इसकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)
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