Makar Sankranti 2024 Vastu Tips: मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य देव की पूजा करने से घर से दरिद्रता दूर होकर सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
दोहा
कनक बदन कुंडल मकर, मुक्ता माला अंग।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के संग।।
चौपाई
जय सविता जय जयति दिवाकर, सहस्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर।
भानु, पतंग, मरीची, भास्कर, सविता, हंस, सुनूर, विभाकर।
विवस्वान, आदित्य, विकर्तन, मार्तण्ड, हरिरूप, विरोचन।
अम्बरमणि, खग, रवि कहलाते, वेद हिरण्यगर्भ कह गाते।
सहस्रांशु, प्रद्योतन, कहि कहि, मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि।
अरुण सदृश सारथी मनोहर, हांकत हय साता चढ़ि रथ पर।
मंडल की महिमा अति न्यारी, तेज रूप केरी बलिहारी।
उच्चैश्रवा सदृश हय जोते, देखि पुरन्दर लज्जित होते।
मित्र, मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर, सविता,
सूर्य, अर्क, खग, कलिहर, पूषा, रवि,
आदित्य, नाम लै, हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै।
द्वादस नाम प्रेम सो गावैं, मस्तक बारह बार नवावै।
चार पदारथ सो जन पावै, दुख दारिद्र अघ पुंज नसावै।
नमस्कार को चमत्कार यह, विधि हरिहर कौ कृपासार यह।
सेवै भानु तुमहिं मन लाई, अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई।
बारह नाम उच्चारन करते, सहस जनम के पातक टरते।
उपाख्यान जो करते तवजन, रिपु सों जमलहते सोतेहि छन।
छन सुत जुत परिवार बढ़तु है, प्रबलमोह को फंद कटतु है।
अर्क शीश को रक्षा करते, रवि ललाट पर नित्य बिहरते।
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत, कर्ण देश पर दिनकर छाजत।
भानु नासिका वास करहु नित, भास्कर करत सदा मुख कौ हित।
ओठ रहैं पर्जन्य हमारे, रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे।
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा, तिग्मतेजसः कांधे लोभा।
पूषा बाहु मित्र पीठहिं पर, त्वष्टा-वरुण रहम सुउष्णकर।
युगल हाथ पर रक्षा कारन, भानुमान उरसर्मं सुउदरचन।
बसत नाभि आदित्य मनोहर, कटि मंह हंस, रहत मन मुदभर।
जंघा गोपति, सविता बासा, गुप्त दिवाकर करत हुलासा।
विवस्वान पद की रखवारी, बाहर बसते नित तम हारी।
सहस्रांशु, सर्वांग सम्हारै, रक्षा कवच विचित्र विचारे।
अस जोजजन अपने न माहीं, भय जग बीज करहुं तेहि नाहीं।
दरिद्र कुष्ट तेहिं कबहुं न व्यापै, जोजन याको मन मंह जापै।
अंधकार जग का जो हरता, नव प्रकाश से आनन्द भरता।
ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही, कोटि बार मैं प्रनवौं ताही।
मन्द सदृश सुतजग में जाके, धर्मराज सम अद्भुत बांके।
धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा, किया करत सुरमुनि नर सेवा।
भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों, दूर हटत सो भव के भ्रम सों।
परम धन्य सो नर तनधारी, हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी।
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन, मध वेदांगनाम रवि उदय।
भानु उदय वैसाख गिनावै, ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै।
यम भादों आश्विन हिमरेता, कातिक होत दिवाकर नेता।
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं, पुरुष नाम रवि हैं मलमासहिं।
दोहा
भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य।
सुख सम्पत्ति लहै विविध, होंहि सदा कृतकृत्य।।
मकर संक्रांति के दिन घर में लगाएं ये खास चीज
Makar Sankranti 2024 Vastu Tips: मकर संक्रांति के दिन घर
पर कुछ चीज लाने से मां लक्ष्मी
की कृपा भी प्राप्त होती
है और घर से
दरिद्रता दूर होकर सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। वास्तु शास्त्र में मकर संक्रांति के दिन घर
की पूर्व दिशा में पीतल से बना हुआ
सूर्य देव का प्रतीक लगाने
की बात कही गई है। इससे
घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी
रहती है। जो लोग सूर्य
का प्रतीक घर लाएं वो
इस बात का ध्यान रखें
कि उसमें नीचे की ओर छह
या सात घंटियां लटकी हों और अगर ये
घंटियां बजने पर ओम की
ध्वनि निकालती हैं तो और भी
शुभ परिणाम मिलते है। साथ ही इस बात
का भी ध्यान रखें
कि इस सूर्य प्रतीक
को कील ठोंककर दीवार पर ना लगाएं।
इस चिन्ह को लगाने के
लिए आप लाल धागे
का प्रयोग करें। इस धागे में
सूर्य के चिन्ह को
बांधकर घर की पूर्व
दिशा में पेंडुलम की तरह टांग
दें, जिससे जब हवा चले
तो इसमें लगी घंटियां ओम की ध्वनि
उत्पन्न करती रहें। इसके आलावा इसे घर में लगाने
से सकारात्मकता भी आती है।
दोस्तों,
मकर संक्रांति सभी को हार्दिक शुभकामनायें।
भगवान सूर्यदेव की कृपा हम
सब बनी रहें। आपको हमारा ये आर्टिकल कैसा
लगा हमें कमेंट करके जरूर बताये। बाकी अन्य आर्टिकलस के लिए हमेशा
ऐसे ही बने रहिये
आपकी अपनी वेबसाइट www.99advice.com के साथ।
(Disclaimer:
इस लेख में दी गई जानकारी
सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर
आधारित है। www.99advice.com इसकी पुष्टि
नहीं करता है। इन पर अमल
करने से पहले संबंधित
विशेषज्ञ से संपर्क करें।)
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