Pitru Paksha 2024: भारत में पितरों को मोक्ष दिलाने वाले 7 तीर्थ स्थल, इन ख़ास जगहों पर करें पिंडदान

इन धार्मिक स्थलों पर श्राद्ध करने का है विशेष महत्व

मुख्य बातें

इन 7 जगहों पर श्राद्ध करने का विशेष महत्व

हर साल लाखों लोग करने आते हैं यहाँ पिंडदान

हिन्दू धर्म में पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में तर्पण श्राद्ध करने की परंपरा है। पितरों की शांति और संतुष्टि के लिए हर साल भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष के करीब 15 दिन तक श्राद्ध पक्ष मनाया जाता है और धार्मिक स्थलों पर लोग पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करने पहुंचते हैं। ऐसा कहते हैं कि पितृपक्ष में पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इस अवधि में हमारे पूर्वज हमें आशीर्वाद देने धरती पर आते हैं। इससे हमारे जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

देश भर में श्राद्ध कर्म कई स्थानों पर किया जाता है लेकिन कुछ ऐसे  प्रमुख तीर्थ स्थल हैं, जहां पिंडदान करने से हमारे पूर्वज बहुत प्रसन्न होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है।आप श्राद्ध पक्ष में इन धार्मिक स्थलों पर जा कर पिंडदान कर सकते हैं।

आइए आज आपको ऐसे 7 प्रमुख तीर्थ स्थलों के बारे में बताते हैं, जिनका हिंदू धर्म में विशेष स्थान है।

1. गया (बिहार)

Pitru Paksha 2024: इन धार्मिक स्थलों पर श्राद्ध करने का है विशेष महत्व

बिहार का गया शहर फल्गु नदी के तट पर बसा है। गया को देवभूमि या मोक्ष की भूमि कहा जाता है। यहां पितरों के लिए किया गया पिंडदान विशेष फलदायी माना गया है। हर साल पितृपक्ष में यहां पिडदान करने या पितरों का श्राद्ध करने लाखों लोग आते हैं। गरुण पुराण के अनुसार भगवान विष्णु यहां जल रूप में विराजमान हैं। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि भगवान राम ने अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान भी गया में ही किया था। मान्यता अनुसार यहां पर श्राद्ध कर्म करने से पूर्वजों को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।


2. हरिद्वार (उत्तराखंड)

इन धार्मिक स्थलों पर श्राद्ध करने का है विशेष महत्व

उत्तराखंड  के  हरिद्वार को हरि का द्वार या देवों की भूमि कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि मात्र यहां स्नान कर लेने से ही समस्त प्रकार के पाप धुल जातें हैं। वैसे तो साल भर यहां पर श्रद्धालुओं कि भीड़ रहती है। परंतु पितृ पक्ष के दौरान यहां पर जनसैलाब काफी बढ़ जाता है। यहां शांति कुंज में कई बरसों से श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। मान्यता है कि हरिद्वार के नारायणी शिला पर किए गए श्राद्ध कर्म का फल दोगुना मिलता है और तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।


3. प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)

Pitru Paksha 2024: इन धार्मिक स्थलों पर श्राद्ध करने का है विशेष महत्व

तीर्थों में सबसे बड़ा तीर्थ प्रयाग है। तीर्थराज प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का संगम होने कि वजह से यहां पर श्राद्ध कर्म करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। हर साल पितृपक्ष में यहां पितरों का तर्पण और पिंडदान करने के लिए लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है। मान्यता है कि प्रयागराज में विधि-विधान से पिंडदान करने से पितरों को मृत्यु के बाद होने वाले सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। पौराणिक ग्रंथों में भी पितरों की शांति के लिए प्रयागराज का जिक्र मिलता है। प्रयागराज में लोग अपने सगे संबंधियों के अंतिम संस्कार के बाद बची राख को संगम के पवित्र जल में प्रवाहित करने के लिए पहुंचते हैं।

4. वाराणसी (उत्तर प्रदेश)

इन धार्मिक स्थलों पर श्राद्ध करने का है विशेष महत्व

पितरों की आत्मा की शांति के लिए या तर्पण के लिए उत्तर प्रदेश का काशी (वाराणसी) भी विशेष स्थान रखता है। भगवान विश्वनाथ की यह नगरी पूरे विश्व में अपने धर्म और आध्यात्मिक वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि काशी नगरी भगवान शिव के त्रिशूल पर स्थित है। काशी में स्थित पिशाच मोचन कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्ध होता है। यह त्रिपिंडी श्राद्ध पितरों को प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु से मरने के बाद होने वाले व्याधियों से बचाकर मुक्ति प्रदान करता है।


5. बद्रीनाथ

Pitru Paksha 2024: इन धार्मिक स्थलों पर श्राद्ध करने का है विशेष महत्व

उत्तराखंड स्थित बद्रीनाथ प्रमुख चार धामों में एक है। इस तीर्थ के पास ही अलकनंदा नदी बहती है। यहां साक्षात भगवान बद्री (विष्णु) विराजमान हैं। मान्यता है कि शिव को ब्रह्म हत्या के पापों से मुक्ति यही से मिली थी। बद्रीनाथ के पास स्थित ब्रह्मकपाल सिद्ध क्षेत्र में श्राद्ध कर्म के लिए बहुत महत्व है। देशभर से लोग पितृ पक्ष में यहां पहुंचते हैं। यहां श्राद्ध कर्म करने से पूर्वजों की आत्माएं तृप्त होती हैं और उनको स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है।ऐसी मान्यता है कि इसके बाद कही भी श्राद्ध कर्म करने की जरूरत नहीं होती। कथाओं केअनुसार पांडवों ने भी यहां अपने परिजनों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया था।


6. उज्जैन (मध्य प्रदेश)

इन धार्मिक स्थलों पर श्राद्ध करने का है विशेष महत्व

पिंडदान और श्राद्ध कार्यों के लिए उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे सिद्धनाथ तीर्थ स्थल की भी बहुत मान्यता है। पितृपक्ष में यहां पितरों का श्राद्ध करने दूर-दूर से लोग आते हैं।


7. चित्रकूट

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मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की बॉर्डर पर स्थित तीर्थ स्थल चित्रकूट में भी पिंडदान व श्राद्ध किया जाता है। वनवास के दौरान जब भगवान राम चित्रकूट में थे, तभी उन्हें पिता दशरथ का निधन का समाचार मिला था। चित्रकूट को लेकर भी यह मान्यता है कि भगवान राम ने त्रिवेणी घाट पर अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान किया था।

पितृपक्ष में इन तीर्थ स्थलों के अलावा मथुरा, जगन्नाथ पुरी के साथ साथ कई अन्य धामों पर पिंडदान किया जाता है। इन सभी तीर्थ स्थलों पर पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है साथ ही संतान को पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

(Disclaimer: 'इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।') 












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Sumegha Bhatnagar

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