Navratri Akhand Jyoti: चैत्र नवरात्र या शारदीय नवरात्र में क्यों जलाई जाती है अखंड ज्योति, जानें क्या हैं इससे जुड़ी मान्यताएं
मुख्य बातें
नियमानुसार जलानी चाहिए अखंड ज्योति
अखंड ज्योति का बीच में बुझना होता है अशुभ
अखंड ज्योति का विशेष महत्व होता है
अखंड ज्योति जलाने के कई नियम होते हैं
नवरात्रि
का त्यौहार देशभर में बडी ही
धूमधाम और हर्षोल्लास के
साथ मनाया जाता है। इन दिनों में
मां दुर्गा के साथ-साथ
उनके विभिन्न नौ रूपों की
भी पूजा का विशेष महत्व
होता है। ऐसा कहा जाता है कि नवरात्रि
के ये नौ दिन
माँ की कृपा पाने
के लिए सबसे श्रेष्ठ होते हैं। यही कारण है कि सभी
नर नारी इन नौ दिनों
में मां को प्रसन्न करने
का प्रयास करते हैं। इन दिनों में,
नौ दिन मां के व्रत करने,
सही विधि से उनकी पूजा
करने के साथ-साथ
उनकी स्तुति करना सबसे
सर्वश्रेष्ठ होता है।
चाहें
शारदीय नवरात्र हो या चैत्र
की नवरात्रि, माता के भक्त इस
पर्व को बड़ी ही
श्रद्धा भक्ति के साथ मनाते
हैं। नवरात्रि में व्रत करने, विधि विधान से पूजा करने
के अलावा भी एक कार्य
होता है जो नवरात्रों
में करना ज़रूरी होता है और वो
है अखंड ज्योति प्रज्वलित करना। नवरात्र के पहले दिन
ज्यादातर घरों में कलश स्थापना के बाद अखंड
ज्योति प्रज्वलित की जाती
है। मान्यता है कि जो
भी भक्त संकल्प लेकर अखंड ज्योति जलाता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही दीपक के
सामने जप करने से
साधक को हजार गुना
फल की प्राप्ति होती
है।
अखंड ज्योति जलाने का महत्व
कोई भी शुभ कार्य हो या पूजा, सबसे पहले दीप जलाने की परंपरा रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि दीप प्रकाश और जीवन में उजाले का प्रतीक है और दीप जलाने से सकारात्मक ऊर्जा आती है। नवरात्र में अखंड दीप जलाया जाता है। यह पूरे 9 दिन तक बिना बुझाए जलाए रखने का प्रावधान है।
अखंड
ज्योति का मतलब ऐसी
ज्योति जो खंडित न
हो और निरंतर जलती
रहे। नवरात्रि में अखंड ज्योति का बहुत अधिक
महत्त्व होता है। नवरात्रि के दौरान अखंड
ज्योति का बुझना अशुभ
माना जाता है। जहां भी यह ज्योति
जलाई जाती है वहां इसके
समक्ष हर वक्त किसी
न किसी व्यक्ति का उपस्थित होना
जरूरी होता है। ज्योतिष शास्त्र में इसे लेकर मान्यता है कि नवरात्र
में घरों में मां की अखंड ज्योति
को जलाने से जीवन में
से अंधकार दूर होता है।
Akhand Jyoti Jalane Ke Niyam: अखंड ज्योति को बहुत ही शुभ माना जाता है। ये कई तरह के संकेत भी देती है। बहुत से लोग अखंड ज्योति प्रज्वलित तो कर लेते हैं लेकिन कुछ बातों पर ध्यान न देने के कारण वो गलतियां कर देते हैं जिससे इस पुण्य कार्य का पूरा फल नहीं मिल पाता है। आइये जानते हैं कि अखंड ज्योति जलाते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
नवरात्रि की अखंड ज्योति जलाने के नियम
1. अखंड
ज्योति जलाने के लिए हमेशा
सामान्य से थोड़े बड़े
आकार का दीपक पूजा
के लिए चुनें। पूजा के लिए मिट्टी
और पीतल के दीपक को
शुद्ध माना जाता है।
2. दीपक
जलाते समय ध्यान रखें कि अगर आप
घी का दीपक जला
रहे हैं तो उसे देवी
मां के दाहिने तरफ,
और अगर दीपक तेल का है तो
उसे देवी मां के बाईं तरफ
रखना शुभ होता है।
3. ज्योति
जलाते वक्त दीपम घृत दक्षे, तेल युत: च वामत: मंत्र
का उच्चारण करना चाहिए। ये मंत्र पढ़ने
से ज्योति जलाने का महत्व और
फल बढ़ जाता है।
4. पूजा
के दीपक को जलाने से
पहले उसे किसी ऊंचे स्थान जैसे पटरे या चौकी पर
लाल कपड़ा बिछाकर रखें। अगर जमीन पर रखते हैं
तो उसके नीचे अष्टदल बना लें और उसके उपर
दीपक जला दें।
5. अखंड
दीपक की ज्योत रक्षासूत्र
से बनाई जाती है। इसके लिए सवा हाथ का रक्षा सूत्र
लेकर उसे बाती की तरह बनाएं
और फिर दीपक के बीचों-बीच
रखें।
6. अखंड ज्योति के लिए शुद्ध
देसी घी का इस्तेमाल
करें। अगर घी नहीं है
तो सरसों के तेल या
तिल के तेल का
इस्तेमाल कर सकते हैं।
7. अखंड
दीपक जलाने से पहले गणेश
भगवान, मां दुर्गा और भगवान शिव
का ध्यान अवश्य करें। फिर ‘ओम जयंती मंगला
काली भद्रकाली कृपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते’ मंत्र का जप करें।
8. अखंड
ज्योति का बुझना शुभ
नहीं माना जाता है, इसलिए इसको बचाने के लिए कांच
के कवर से ढक कर
रखना चाहिए, जिससे हवा जैसी चीजों से ज्योति की
रक्षा हो और अखंड
ज्योति बुझने न पाए। अगर
ज्योति बुझ जाती है तो उसे
पूजा के सामान्य दिये
से दोबारा जला सकते हैं।
9. जब
तक घर में देवी
के नाम की अंखड ज्योत
जलती रहे, तब तक घर
के सभी लोगों को पूर्ण रूप
से सात्विक धर्म का पालन करना
चाहिए। मांसाहार या शराब आदि
किसी भी प्रकार की
वस्तु का सेवन नहीं
करना चाहिए।
10. नवरात्र में अखंड ज्योति जलाए रखने से मां का
आशीर्वाद मिलता है और परिवार
में सुख-शांति के साथ समृद्धि
भी आती है। ज्योति
के प्रकाश से सभी तरह
की समस्याएं खत्म होती हैं और जीवन
में सदैव प्रकाश बना रहता है।
11. इस
बात का ध्यान रखें
कि अंखड ज्योति जब तक घर
में जल रही है
तब तक घर पर
ताला ना लगाएं यानी
परिवार का कोई-न-कोई सदस्य घर में जरूर
रहे।
12. ज्योति
माता का स्वरूप होती
है इसलिए इसे हमेशा घर के किसी
साफ जगह पर रखना चाहिए।
ज्योति के आस-पास
शौचालय या बाथरूम नहीं
होना चाहिए।
(Disclaimer: इस
लेख में दी गई जानकारी
सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर
आधारित है। www.99advice.com
इसकी पुष्टि नहीं करता है।इन पर अमल करने
से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)
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