सावन के महीने में सोमवारी व्रत खास माना जाता है। लेकिन सावन का मंगलवार भी बहुत खास होता है। इस बार वर्ष 2024सावन माह में 4 मंगलागौरी व्रत मंगलवार हैं।
Mangala Gauri Vrat 2024
सावन में कैसे रखें मंगला गौरी व्रत, जानें व्रत कथा, महत्व
और संपूर्ण पूजा विधि |
मुख्य
बातें
मंगला गौरी की पूजा सावन में की जाती है
मंगला गौरी यानी माता पार्वती की पूजा आराधना करने से अखंड
सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं
मान्यता है कि मंगला गौरी की आरती गाने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं
हिन्दू
शास्त्रों में सावन माह भगवान शिव का सबसे प्रिय
महीना माना गया है। इस महीने में
सोमवार के व्रत और
शिव को जल चढ़ाने
की बहुत महत्ता है। सावन में पड़ने वाले सोमवार का दिन काफी
खास माना जाता है। लेकिन सावन महीने के सोमवार के
साथ ही सावन महीने
का हर मंगलवार भी
बेहद महत्वपूर्ण होता है। जितना यह महीना भगवान
शिवशंकर को प्रिय है उतना ही यह मां
गौरी के लिए भी विशेष है। सोमवार जहां
शंकर भगवान का दिन है
वहीं मंगलवार मां पार्वती का दिन माना
गया है। सावन में पड़ने वाले प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी
व्रत किया जाता है।
मां पार्वती को समर्पित है मंगला गौरी व्रत
हिन्दू कैलेंडर
के अनुसार, मंगला गौरी व्रत विवाहित महिलाओं द्वारा सावन महीने के प्रत्येक मंगलवार
को किया जाता है। मां मंगला
गौरी के व्रत के
बारे में बहुत कम लोग ही
जानते हैं। मंगला गौरी का यह व्रत
माता पार्वती को समर्पित है।
सावन के हर मंगलवार
को व्रत रखने और इस
दिन माता पार्वती की पूजा करने
से यह व्रत “मंगला
गौरी
व्रत”
के नाम से प्रचलित है।
मां मंगला गौरी आदि शक्ति माता पार्वती का ही मंगल
रूप हैं। इन्हें मां दुर्गा के आठवें स्वरूप
महागौरी के नाम से
भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि मंगला
गौरी व्रत अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के
लिये रखा जाता है। इसलिए विवाहित महिलाएं सावन में इस व्रत को
विधि-विधान के साथ रखती
हैं और मां मंगला
गौरी की पूजा अर्चना करती
हैं।
तो
आइए जानते हैं कि इस बार सावन में कितने मंगलवार हैं, मंगला गौरी व्रत की पूजन विधि,
व्रत कथा, मंत्र, आरती और इस व्रत का क्या महत्व है -
सावन
में होंगे इस बार 4 मंगला गौरी व्रत (Sawan Mangla Gauri
Vrat 2024)
प्रथम मंगला गौरी व्रत 2024 - 23 जुलाई 2024, मंगलवार
द्वितीय मंगला गौरी व्रत 2024 - 30 जुलाई 2024, मंगलवार
तृतीय मंगला गौरी व्रत 2024 - 06 अगस्त 2024, मंगलवार
चतुर्थ मंगला गौरी व्रत 2024 - 13 अगस्त 2024, मंगलवार
मंगला गौरी व्रत पूजन विधि-
धार्मिक
मान्यताओं के अनुसार सुहागन
महिलाएं सावन के प्रत्येक मंगलवार
को मां मंगला गौरी व्रत को विधि-विधान
के साथ रखती हैं और मां मंगला
गौरी की पूजा करती
हैं। व्रत के दिन सभी
पूजा सामग्री 16 की संख्या
में होनी चाहिए। 16 मालाएं, इलायची,
लौंग, सुपारी, फल, पान, लड्डू, सुहाग की सामग्री तथा
16 चूड़ियां। इसके अतिरिक्त पूजन सामग्री में पांच प्रकार के सूखे मेवे
तथा सात प्रकार के अन्न सम्मिलित
करने चाहिए।
★ व्रत
के एक दिन पहले
ही समस्त सामग्री की व्यवस्था कर
लें। व्रत के दिन प्रातः
शीघ्र उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
★ उसके
बाद माता पार्वती के प्रतिष्ठित स्थान
को स्वच्छ करें।
★ एक
ऊंचे सिंहासन, लकड़ी की चौकी या
पटरे पर लाल कपड़ा
बिछाकर उस पर माता
पार्वती और भगवान गणेश
जी की मूर्ति अथवा
चित्र स्थापित करके गौरी व्रत का संकल्प लें।
★ प्रतिमा
के सामने आटे की बनाई हुई
दीपक में घी का दीप
जला कर रख लें।
★ माँ
गौरा की रोली-चावल,
से पूजा करके सोलह श्रंगार की वस्तु चढ़ाये।
★ फिर
सोलह तरह की सभी चीजों,
सूखे मेवे, अन्न, धूप, नैवेद्य फल-फूल आदि
से माता पार्वती की पूजा अर्चना
विधि विधान के साथ करें।
★ अपने
मन में माता पार्वती के गौरी स्वरूप
के दर्शन कर उनका ध्यान
करें।
★ माता
गौरी की स्तुति गान
करें और मंगला गौरी
व्रत की कथा सुने।
★ इसके
बाद माता को अर्पित किया
हुआ प्रसाद घर के सभी
सदस्यों में बाँट का खुद ग्रहण
करें।
★ इस
व्रत में एक बार अन्न
ग्रहण करके सारा दिन माँ पार्वती की आराधना की
जाती है इसलिए आप
एक समय अन्न खा सकती हैं।
★ सावन
के आखिरी मंगला गौरी व्रत करने के बाद इस
व्रत के उद्यापन का
विधान है।
पौराणिक मंगला गौरी व्रत कथा:
एक
समय की बात है,
एक शहर में धरमपाल नाम का एक व्यापारी
रहता था। उसकी पत्नी काफी खूबसूरत थी और उसके
पास काफी संपत्ति थी। लेकिन कोई संतान न होने के
कारण वे दोनों अत्यंत
दुःखी रहा करते थे।
ईश्वर
की कृपा से उनको एक
पुत्र की प्राप्ति हुई
लेकिन वह अल्पायु था।
उसे यह श्राप मिला
था कि 16 वर्ष
की उम्र में सांप के काटने से
उसकी मौत हो जाएगी। संयोग
से उसकी शादी 16 वर्ष से
पहले ही एक युवती
से हुई जिसकी माता मंगला गौरी व्रत किया करती थी।
परिणाम
स्वरूप उसने अपनी पुत्री के लिए एक
ऐसे सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त
किया था जिसके कारण
वह कभी विधवा नहीं हो सकती थी।
इस वजह से धरमपाल के
पुत्र ने 100 साल
की लंबी आयु प्राप्त की।
अतः
इसी कारण से सभी विवाहित
महिलाएं यह पूजा करती
हैं तथा गौरी व्रत का पालन करती
हैं। साथ ही अपने लिये
एक सुखी पारिवारिक तथा स्थायी वैवाहिक जीवन की कामना माँ
पार्वती से करती हैं।
यदि किसी कारणवश कोई महिला इस मंगला गौरी
व्रत का पालन नहीं
कर सकतीं, तो उस महिला
को कम से कम
मंगला गौरी की पूजा अवश्य
करनी चाहिए।
मंगला गौरी व्रत का महत्व
पौराणिक
कथाओं के अनुसार इस
व्रत का बहुत महत्व
है। धार्मिक मान्यता है कि सावन
में मंगला
गौरी व्रत में मां
गौरी की विधि पूर्वक
पूजा करने से अखण्ड सौभाग्यवती
होने का आशीर्वाद प्राप्त
मिलता है। साथ ही वैवाहिक जीवन में खुशियों का आगमन होता
है। भविष्य पुराण के अनुसार अखण्ड़
सौभाग्यवती और संतान प्राप्ति
की कामना से मंगला गौरी
व्रत रखा जाता है। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने
वाली स्त्रियों के लिए भी
ये व्रत बहुत शुभ एवं फलदायी रहता है। यदि किसी के दांपत्य जीवन
में कुछ समस्याएं हैं तो उन्हें मंगला
गौरी का व्रत
करना चाहिए। इससे दांपत्य जीवन का कलह-कष्ट
व अन्य सभी परेशानियाँ दूर होती हैं।
केवल
ध्यान इस बात का
रखें कि यह व्रत
पूरी श्रद्धा और निष्कपट भावना
से करें। इससे जीवन में खुशहाली बनी रहती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती
है।
मंगला गौरी का व्रत विशेष तौर पर मध्य प्रदेश, पंजाब, बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश में प्रचलित है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और शेष दक्षिण भारत में मंगला गौरी व्रत को श्री मंगला गौरी व्रतम के रूप में भी जाना जाता है।
पुराणों
मे देवी माँ के इस व्रत
का बहुत अधिक महत्व है। यह बहुत ही
आसन, प्रसिद्ध और शक्तिशाली मंत्र
है। जिसका कम से कम 11, 21, 51, 108 बार या अपनी श्रध्दा
के अनुसार जप करना सर्वश्रेष्ठ
बताया गया है।
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
मंगला गौरी आरती
पौराणिक मान्यता है कि मंगला गौरी की पूजा के बाद माता की आरती गाने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और मां गौरा का आशीर्वाद सदैव बना रहता है। मंगला गौरी आरती इस प्रकार है-
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता
ब्रह्मा सनातन देवी शुभ फल दाता। जय मंगला गौरी...।
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता,
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता। जय मंगला गौरी...।
सिंह को वाहन साजे कुंडल है,
साथा देव वधु जहं गावत नृत्य करता था। जय मंगला गौरी...।
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सटी कहलाता,
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता। जय मंगला गौरी...।
शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता,
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाता। जय मंगला गौरी...।
सृष्टी रूप तुही जननी शिव संग रंगराताए
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मद माता। जय मंगला गौरी...।
देवन अरज करत हम चित को लाता,
गावत दे दे ताली मन में रंगराता। जय मंगला गौरी...।
मंगला गौरी माता की आरती जो कोई गाता
सदा सुख संपति पाता।
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता।।
🌹 माँ मंगला गौरी का आशीर्वाद हम सभी पर बना रहें।।🌹
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