शिवयोग में मनेगा महाशिवरात्रि का पावन पर्व, पूजा करते समय भूलकर भी न करें ये 7 गलतियां
Mahashivratri
2024: भूलकर
भी न करें
7 गलतियां |
हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि को भगवान शिव के प्रति सच्ची आस्था
और श्रृद्धा का पर्व माना जाता है। शिव जी को वरदान देने वाले देवता कहा जाता है, भगवान
शिव अपने नाम भोलेनाथ के अनुसार बहुत ही भोले माने जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस
दिन भगवान भोलेनाथ का व्रत रखने से वो अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों की
सभी समस्याओं का समाधान करते हैं।
इस वर्ष 2024 में, यह महापर्व 08 मार्च शुक्रवार को मनाया जायेगा। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 08 मार्च दिन शुक्रवार को रात 09 बजकर 57 मिनट से शुरू होकर 9 मार्च शनिवार को शाम 06 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी। इस दोरान महान कल्याणकारी 'शिवयोग' भी विद्यमान रहेगा। शिव योग को स्वयं भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त है। यह त्यौहार भगवान शिव और पार्वती माता के विवाहोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
पूजा शुभ मुहूर्त:
महा शिवरात्रि 08 मार्च दिन शुक्रवार को है। महाशिवरात्रि पूजा का सबसे शुभ समय चतुर्दशी तिथि 08 मार्च दिन शुक्रवार को रात 09 बजकर 57 मिनट से शुरू होकर 9 मार्च शनिवार को शाम 06 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी।
महाशिवरात्रि 2024 पूजा के अन्य शुभ मुहूर्त-
महाशिवरात्रि के त्योहार पर भगवान शिव की पूजा चार प्रहर में करने का विधान होता है।
प्रथम प्रहर की पूजा मुहूर्त- 08 मार्च 2024 को शाम 06 बजकर 25 मिनट से रात 09 बजकर 28 मिनट तक
दूसरे प्रहर की पूजा मुहूर्त- रात 09 बजकर 28 मिनट से 9 मार्च को रात 12 बजकर 31 मिनट तक
तीसरे प्रहर की पूजा मुहूर्त- 09 मार्च को रात 12 बजकर 31 मिनट से प्रातः 03 बजकर 34 मिनट तक
चौथे प्रहर की पूजा मुहूर्त- 09 मार्च को सुबह 03 बजकर 34 मिनट से सुबह 06 बजकर 37 तक
व्रत पारण समय - 9 मार्च को सुबह 06 बजकर 37 मिनट से दोपहर 03 बजकर 28 मिनट तक
शिव पूजा के दौरान भूलकर भी न करें ये 7 गलतियां
1. शंख का
प्रयोग न करें
भगवान शिव की पूजा में कभी भी शंख से जल अर्पित नहीं किया जाता है और न ही भगवान शिव की पूजा में शंख का उपयोग किया जाता है। दैत्य शंखचूड़ का भगवान शंकर ने त्रिशूल से वध किया था जिसके बाद उसका शरीर भस्म हो गया और उसी भस्म से ही शंख की उत्पत्ति हुई थी। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव रुष्ट हो सकते हैं। इसलिए भोलेबाबा की पूजा में शंख नहीं बजाना चाहिए।
2. तुलसी पत्ता
शिव जी के पंचामृत में भूलकर भी तुलसी का प्रयोग नहीं किया जाता। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव ने जलंधर नामक राक्षस का वध किया था और जलंधर की पत्नी वृंदा बाद में तुलसी का पौधा बन गई थीं जिसे भगवान विष्णु ने पत्नी रूप में स्वीकार किया था। इसलिए शिव जी की पूजा में तुलसी का प्रयोग करना मना है।
3. पुष्प
भगवान शिव की पूजा में केसर, दुपहरिका, मालती, चम्पा, चमेली, कुन्द, जूही आदि के पुष्प नहीं चढ़ाने चाहिए। क्योंकि ये फूल शिव जी को प्रिय नहीं होते हैं।
4. काला तिल
यह माना जाता कि काला तिल भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ है इसलिए इसे भगवान शिव को अर्पित नहीं करना चाहिए।
5. टूटे हुए चावल
शास्त्रों में भगवान शिव को अक्षत यानी साबुत चावल अर्पित किए जाने के बारे में लिखा है। टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध होता है इसलिए यह शिव जी को नहीं चढ़ाया जाता है।
6. सिंदूर या कुमकुम
कुमकुम सौभाग्य का प्रतीक है जो हिंदू महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए लगाती हैं। जबकि भगवान शिव वैरागी हैं और विध्वंसक के रूप में जाने जाते हैं इसलिए शिवलिंग को कुमकुम नहीं चढ़ता।
7. टूटे बेलपत्र न करें अर्पित
भगवान शिव को कभी भी टूटे हुए बेल पत्र या फिर दो मुंह वाले बेलपत्र
नहीं चढ़ाने चाहिये।
Post A Comment:
0 comments so far,add yours