जानिए कब है आंवला नवमी? ऐसे करें पूजा
कार्तिक
माह में त्यौहार ही त्यौहार पड़ते हैं अभी कुछ समय पहले दिवाली और छठ पर्व मनाया गया और अब कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी या आंवला नवमी का पर्व मनाया जाएगा। यह दिवाली से 8 दिन बाद पड़ती है। हिंदू धर्म में अक्षय नवमी का बहुत महत्व बताया गया है। इस साल अक्षय नवमी या आंवला नवमी 02 नवंबर, बुधवार के दिन पड़ रही है।
कार्तिक शुक्ल नवमी अक्षय या आंवला नवमी कहलाती है। इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्न आदि के दान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इस दिन महिलाएं आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर संतान की प्राप्ति व उसकी रक्षा के लिए पूजा करती हैं। आंवला नवमी के दिन आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने की भी प्रथा है। इस दिन भगवान विष्णु के प्रिय आंवले के पेड़ की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल नवमी से पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। इसलिए इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। आत्मिक उन्नति के लिए दान आदि करें। इस साल आंवला नवमी 02 नवंबर को है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी से लेकर पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। इस दिन आंवला पेड़ की पूजा-अर्चना कर दान पुण्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। अन्य दिनों की तुलना में नवमी पर किया गया दान-पुण्य कई गुना अधिक लाभ दिलाता है।
आंवला नवमी के दिन परिवार के बड़े-बुजुर्ग सदस्य विधि-विधान से आंवला वृक्ष की पूजा-अर्चना करके भक्तिभाव से इस पर्व को मनाते हैं। ऐसी मान्यता है कि आंवला पेड़ की पूजा कर 108 बार परिक्रमा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पूजा-अर्चना के बाद खीर, पूड़ी, सब्जी और मिष्ठान्न आदि का भोग लगाया जाता है। कई धर्मप्रेमी तो आंवला पूजन के बाद पेड़ की छांव में ब्राह्मण भोज भी कराते हैं।
इस दिन महिलाएं भी अक्षत, पुष्प, चंदन आदि से पूजा-अर्चना कर पीला धागा लपेट कर वृक्ष की परिक्रमा करती हैं। धर्मशास्त्र के अनुसार इस दिन स्नान, दान, यात्रा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।