Maha Shivaratri 2020 | महाशिवरात्रि को 29 साल बाद महायोग की त्रिवेणी

Maha Shivaratri 2020 | महाशिवरात्रि को 29 साल  के बाद महायोग 

भगवान शिव को महाकाल कहा गया है और वहीं देवों के देव महादेव हैं। उन्होंने गंगा को अपने शीष पर धारण किया हुआ है। कहते हैं कि अगर भोले नाथ का पूरे श्रद्धा भाव से पूजा की जाए तो वो हमारी जिंदगी की सभी समस्याओं को समाप्त कर देते हैं। 
Maha Shivaratri 2020 | महाशिवरात्रि को 29 साल  के बाद महायोग

महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
21 तारीख को शाम को 5 बजकर 20 मिनट से 22 फरवरी, शनिवार को शाम सात बजकर 2 मिनट तक रहेगा।

वैष्णव संप्रदाय उदियात अर्थात् जो सूर्योदय के समय तिथि हो उसे मानते हैं। इसलिए इस साल महाशिवरात्रि 21 फरवरी को मनाई जाएगी।
शैव संप्रदाय के अनुसार निशीथ में चतुर्दशी तिथि व्याप्त होने पर 21 फरवरी को शिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। वहीं 22 फरवरी को वैष्णवों द्वारा उदियात (सूर्योदय के समय) में चतुर्दशी तिथि के चलते व्रत परायण करना श्रेयस्कर है। शिव खप्पर पूजन 23 फरवरी अमावस्या को होगा। उक्त जानकारी पं. अमित भारद्वाज ने दी है। शिवरात्रि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भगवान का रुद्राभिषेक किया जाता है। शिवरात्रि के दिन सुबह नहा धोकर मंदिर जाकर ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। 

इस बार महाशिवरात्रि को 29 साल बाद महायोग की त्रिवेणी होगी। शशि, सुस्थिर और सर्वार्थ सिद्धि योग में शिवरात्रि महापर्व मनाया जाएगा। ज्योतिषियों के अनुसार महाशिवरात्रि को 29 साल बाद शशि योग बनेगा। इसकी वजह यह है कि शनि 29 साल बाद अपनी राशि मकर में और गुरु भी अपनी राशि धनु में स्थित है। यह योग चन्द्र से शनि के प्रथम, चतुर्थ, सप्तम या दसवे स्थान पर होने पर यह योग बनता है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि व सुस्थिर योग भी रहेगा। श्रवण नक्षत्र और चतुर्दशी के एक साथ होने से यह योग बनते है। ये दोनों योग भी शुभ माने गए हैं। महाशिवरात्रि को शहर के विभिन्न शिवालयों में दिन भर अभिषेक व कीर्तन का क्रम रहेगा।

राशि अनुसार उपाय
महाशिवरात्रि को मेष, वृषभ व मिथुन राशि वालों को रुद्रष्टध्यायी, कर्क, सिंह व कन्या राशि वालों को शिव तांडव स्त्रोत, तुला, वृश्चिक व धनु राशि वालों को शिव महिम्न स्रोत, मकर राशि वालों को शिव चन्द्रशेखर स्त्रोत, कुंभ राशि वालों को शिव पंचाक्षर व मीन राशि वालों को महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से लाभ होगा।

जोधपुर के ज्योतिषियों के अनुसार 21 फ रवरी की शाम 5.22 बजे तक त्रयोदशी तिथि शुरू हो जाएगी। इस बार 117 साल बाद शिवरात्रि को शनि और शुक्र का दुर्लभ योग बन रहा है। शनि अपनी स्वयं की राशि मकर में और शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा। इससे पहले ऐसा योग 25 फ रवरी 1903 को बना था। गुरु भी अपनी स्वराशि धनु में स्थित है। इस योग में शिव पूजा करने पर शनि, गुरु व शुक्र के दोषों से मुक्ति मिल सकती है।
नए कार्यो की शुरूआत करने के लिए ये योग बहुत ही शुभ माना गया है। शिवरात्रि पर शनि के साथ चंद्र भी रहेगा। शनि-चंद्र की युति की वजह से विष योग बन रहा है। इस योग में शनि और चंद्र के लिए विशेष पूजा करनी चाहिए।
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Abhishek Bhatnagar

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