हिंदू पर्व अक्षय तृतीया
को एक पावन पर्व माना जाता है। किसी भी
शुभ कार्य की शुरुआत लोग उसके सफल होने की उम्मीद के साथ ही करते हैं। ऐसे में एक ऐसा
शुभ दिन आ रहा है, जब आप अपने हर शुभ कार्य की शुरुआत कर सकते हैं। अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की
तृतीय तिथि को मनाई जाती है। अक्षय का शाब्दिक अर्थ है जिसका कभी क्षय ना हो अर्थात
जो स्थाई बना रहे। स्थाई वहीं रह सकता जो सर्वदा सत्य है। यह बातें निश्चित रूप से
कही जा सकती है कि सत्य केवल परमात्मा ही है जो अक्षय, अखंड और व्यापक है। यह अक्षय
तृतीया तिथि ईश्वर तिथि है। इस वर्ष शनिवार, 22 अप्रैल 2023 को अक्षय तृतीया पड़ रही है। इस तिथि को आखातीज भी कहते हैं।
पुराणों में बताया गया है कि यह बहुत
ही पुण्यदायी तिथि है इसदिन किए गए दान पुण्य के बारे में मान्यता है कि जो कुछ भी
पुण्यकार्य इस दिन किए जाते हैं उनका फल अक्षय होता है यानी कई जन्मों तक इसका लाभ
मिलता है। शास्त्रों के अऩुसार अक्षय तृतीया
बहुत ही शुभ दिन है, अतः विवाह आदि के लिए इस दिन पंचांग देखने की जरूररत नहीं पड़ती।
इस दिन बिना मुहूर्त के भी विवाह कर सकते हैं। पितरों की शांति के लिए अक्षय तृतीया
को बहुत विशेष माना जाता है।
हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया को मनाने को लेकर कई मान्यताएं हैं। माना जाता है कि अक्षय
तृतीया के दिन ही पीतांबरा, नर-नारायण, हयग्रीव
और परशुराम के अवतार हुए हैं। शास्त्रों के अनुसार त्रेता युग का आरंभ अक्षय तृतीया
को ही हुआ है। सुदामा ने श्रीकृष्ण से
चावल अक्षया तृतीया के दिन ही प्राप्त किए थे। अक्षय तृतीया पर मां गंगा का धरती पर आगमन हुआ था। वेद व्यास जी ने अक्षय तृतीया के दिन से महाभारत ग्रंथ लिखना आरंभ किया और बदरीनाथ धाम के कपाट भी अक्षय तृतीया के दिन ही खोले जाते हैं।
शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया पर्व के दिन स्नान, होम, जप,
दान आदि का अनंत फल मिलता है। इसलिए भारतीय संस्कृति में इसका बड़ा महत्व है। शास्त्र में उल्लेखित है कि आज
के दिन स्वर्ण की खरीदारी भी करनी चाहिए। धन योग और धन-संपदा में वृद्धि का योग भी
बनता है। इस तिथि को व्यापार आरम्भ, गृहप्रवेश, वैवाहिक कार्य, सकाम अनुष्ठान, जप-तप,
पूजा-पाठ आदि के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन दिया गया दान और मिलने वाला पुण्य
अक्षय रहता है, अर्थात् वह कभी नष्ट नहीं होता है। आज के दिन जो भी कार्य मनुष्य करता
है, वह अक्षय हो जाता है। इसलिए धार्मिक एवं शुभ कार्य आज के दिन जरूर करना चाहिए।
जिस तरह अक्षय तृतीया पर किए जाने वाले पुण्य कार्य का फल निश्चित रूप से व्यक्ति
को मिलता है, उसी प्रकार इस दिन किये जाने वाले अनाचार, अत्याचार, दुराचार, धूर्तता
आदि के परिणाम से होने वाला पाप कर्मफल भी अक्षुण रहता है। अक्षय तृतीया के दिन किया गया पाप हर जन्म में मनुष्य का पीछा करता रहता
है। ऐसे में शास्त्रों में इस दिन जीवात्माओं को अत्यंत ही संयम और सावधानी बरतने के
लिए बताया गया है।
अक्षय तृतीया तिथि एवं शुभ मुहूर्त
अक्षय तृतीया तिथि आरंभ- 22 अप्रैल 2023 सुबह 07.49
अक्षय तृतीया तिथि समापन- 23 अप्रैल 2023 सुबह 07.47 तक।
पूजा का शुभ मुहूर्त- 22 अप्रैल, शनिवार, प्रातः 7:
49 मिनट से दोपहर 12: 20 मिनट तक।
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