शनिदेव जी ग्रहों के न्यायाधीश और दंडाधिकारी हैं। शनिदेव व्यक्ति को उसके शुभ अशुभ कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। वह अपने न्याय और कठोर दंड के लिए प्रसिद्ध है। ऐसे में कहा जाता है कि शनिदेव प्रसन्न होने पर राज्य दे देते हैं और रुष्ट होने पर उसे छीन भी लेते हैं। शनिदेव का चरित्र भी असल में, कर्म और सत्य को जीवन में अपनाने की ही प्रेरणा देता है।
शनि देव भी भगवान शिव जी
की तरह शीघ्र प्रसन्न होते हैं। उन्हें पूजन में कुछ विशेष चीजें अर्पित करने से वह
प्रसन्न हो कर शुभ परिणाम देने लगते हैं। सात्विक और सदाचारी लोगों को शनि देव से भयभीत
होने की आवश्यकता नहीं है। अगर जीवन में परोपकार और शास्त्रों की कुछ बातों का ध्यान
रखें तो शनि देव कभी कुपित नहीं होते।
यह कहा जाता है कि अगर शनिदेव किसी पर गुस्सा हो जाएं तो व्यक्ति
को कई प्रकार की परेशानियां हो सकती हैं। यदि किसी व्यक्ति पर शनि की ढैया या साढ़ेसाती
हो या फिर कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव के कारण वो किसी रोग से पीड़ित है तो अगर
वे इन उपायों को आजमाते हैं तो उसे शनिदेव की विशेष कृपा की प्राप्ति होती है और सारे
कष्ट दूर हो जाते हैं।
नौ ग्रहों में सबसे खतरनाक गुस्सा शनिदेव का माना जाता है। लोग इन्हें
शांत रखने के लिए न जाने क्या-क्या उपाय करते हैं। कहा जाता है कि जिसकी कुंडली में
यह ग्रह गलत भाव में होता है, उसके कष्टों की कोई सीमा नहीं होती है। मगर अच्छे भाव
में इनकी मौजूदगी व्यक्ति को हर सुख और वैभव से संपन्न भी बना देती है।
श्यामवर्णी शनिदेव को काले ही रंग वाले पशु पक्षी अति प्रिय हैं,
पक्षियों में शनि का प्रिय है कौवा और जानवरों में उन्हें प्रिय है काले रंग का कुत्ता
और काले हाथी। काला कुत्ता भगवान काल भैरव की भी सवारी माना जाता है।
अधिकांश लोग शनि देव को बुरा मानते हैं क्योंकि शनि देव की वक्र
दृष्टि से कार्य में बाधायें आती हैं। अगर जीवन में परोपकार और शास्त्रों की कुछ बातों
का ध्यान रखें तो शनि देव कभी कुपित नहीं होते। तो आइए आज हम आपको बताते हैं कुछ खास उपाय जिनसे शनि देव को प्रसन्न किया जा
सकता है।
खास 18 उपाय:
1. शनिवार के
दिन सूर्यौदय से पहले पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दिया जला कर पूजा करें
और पेड़ पर सरसो का तेल चढ़ाये। इसके बाद उसी पीपल के पेड़ की 7 बार परिक्रमा करें।
ऐसा करने से शनि देव जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं।
2. शनि के दुष्प्रभाव
को दूर करने के लिए शनिवार के दिन काली गाय की सेवा करें। पहली रोटी उसे खिलाएं, सिंदूर
का तिलक लगाएं, सींग में मौली (कलावा या रक्षासूत्र) बांधे और फिर मोतीचूर के लड्डू
खिलाकर उसके चरण स्पर्श करें।
3. शनिवार को
पूजा करते समय, शनि देव से मुक्ति पाने के लिये उनके नाम का 108 बार जप करें और नाम
इस प्रकार हैं – कोणस्थ, पिंगल, बभ्रु, कृष्ण, रौद्रान्तक, यम, सौरि, शनैश्चर, मंद,
पिप्पलाश्रय।
4. शनिवार वाले
दिन ही एक कटोरी में सरसों का तेल डालकर उसमें अपना चेहरा देखें और फिर इस तेल को दान
कर दें। इससे भी आपकी शनि दशा में सुधार आता है। शनिवार वाले दिन शनि मंदिर में जाकर
शनि चालीसा और शनि मंत्रों का पाठ भी करें।
5. ऐसा माना
जाता है कि हनुमान जी का पूजन करने से व्यक्ति को शनि दोषों का सामना नहीं करना पड़ता।
अतः प्रत्येक शनिवार हनुमान चालीसा का पाठ करें। क्योंकि बंदरों को हनुमान जी का रूप
मानते हैं, इसलिए बंदरों को गुड़ और चने खिलाएं।
6. दोनों समय
भोजन में काला नमक और काली मिर्च का प्रयोग करें।
7. यदि शनि की
अशुभ दशा चल रही हो तो मांस-मदिरा का सेवन न करें।
8. भगवान हनुमान
और शनि दोनों का प्रसन्न करने का यह दिन होता है। शनिवार के दिन शनिदेव का व्रत और
पूजन करें। संध्या को हनुमान जी की भक्ति करें।