महामृत्युंजय मंत्र - भगवान शिव का प्रिय मंत्र, Maha Mrityunjaya Mantra in Hindi
महामृत्युंजय मंत्र ऋग्वेद का एक श्लोक है| भगवान शिव को मृत्युंजय के रूप में समर्पित ये महान मंत्र ऋग्वेद में पाया जाता है| महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव का सबसे बड़ा और प्रिय मंत्र माना जाता है। सनातन धर्म में महामृत्युंजय मंत्र को प्राण रक्षक और महामोक्ष मंत्र कहा जाता है। पूराणों के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते है| वैसे तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप कभी भी कर सकते है, परन्तु श्रावण मास में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से सौ गुणा ज्यादा फल मिलता है।
हिन्दू धरम में सर्वोच्च माने जाने वाले देवों के देव महादेव भगवान शिव की आराधना करने से मनुष्य सभी सांसारिक सुखों को प्राप्त कर अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है| महामृत्युंजय मंत्र (Maha Mrityunjaya Mantra in Hindi) भगवान शिव का सबसे बड़ा मंत्र माना जाता है| ऋग्वेद में इस मंत्र का उल्लेख मिलता है| शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि ऋषि मार्कंडेय की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव द्वारा यह मंत्र ऋषि मार्कंडेय को दिया गया था| मोक्ष की इच्छा रखने वाले जातक के लिए महामृत्युंजय मंत्र (Maha Mrityunjaya Mantra in hindi) सबसे उपयुक्त है| शिवजी का यह मंत्र मानव जीवन के लिए अभेद्य कवच है।
|| महा मृत्युंजय मंत्र ||
ॐ त्र्यम्बक यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धन्म।
उर्वारुकमिव बन्धनामृत्येर्मुक्षीय मामृतात् ।।
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ
हम तीन नेत्र वाले भगवान शंकर की पूजा करते हैं जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं, जो सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण अपनी शक्ति से कर रहे हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि जिस प्रकार एक ककड़ी अपनी बेल में पक जाने के उपरांत उस बेल-रूपी संसार के बंधन से मुक्त हो जाती है, उसी प्रकार हम भी इस संसार-रूपी बेल में पक जाने के उपरांत जन्म-मृत्यु के बंधनों से सदा के लिए मुक्त हो जाएं तथा आपके चरणों की अमृतधारा का पान करते हुए शरीर को त्यागकर आप ही में लीन हो जाएं और मोक्ष प्राप्त कर लें।