होली उत्साह,उमंग,जोश और खुशी का पर्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है। होली मनाने से एक दिन पहले होलिका का दहन किया जाता है। इसके बाद रंग, अबीर और गुलाल से होली खेली जाती है। फिर मस्ती के रंग में डूबकर फाल्गुन के गीत गाए जाते है। भारत में होली का त्योहार बहुत पहले से मनाने की परंपरा चली आ रही है।
होली 2018 का त्यौहार इसमें एक और रंगों के माध्यम से संस्कृति के रंग में रंगकर सारी भिन्नताएं मिट जाती हैं और सब बस एक रंग के हो जाते हैं वहीं दूसरी और धार्मिक रूप से भी होली बहुत महत्वपूर्ण हैं। मान्यता है कि इस दिन स्वयं को ही भगवान मान बैठे हरिण्यकशिपु ने भगवान की भक्ति में लीन अपने ही पुत्र प्रह्लाद को अपनी बहन होलिका के जरिये जिंदा जला देना चाहा था लेकिन भगवान ने भक्त पर अपनी कृपा की और प्रह्लाद के लिये बनाई चिता में स्वयं होलिका जल मरी। इसलिये इस दिन होलिका दहन की परंपरा भी है। होलिका दहन से अगले दिन रंगों से खेला जाता है इसलिये इसे रंगवाली होली और दुलहंडी भी कहा जाता है।
होली 2018 उत्साह,उमंग,जोश और खुशी का पर्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है। होली मनाने से एक दिन पहले होलिका का दहन किया जाता है। इसके बाद रंग, अबीर और गुलाल से होली खेली जाती है। फिर मस्ती के रंग में डूबकर फाल्गुन के गीत गाए जाते है। भारत में होली का त्योहार बहुत पहले से मनाने की परंपरा चली आ रही है।
मुगलकाल के समय में भी भारत में होली मनाई जाती है। इतिहास में बादशाह अकबर का जोधाबाई के साथ होली खेलने का वर्णन मिलता है। मुगल काल में इसे ईद-ए-गुलाबी कहा जाता था। तब लोग एक दूसरे के ऊपर रंगों की बौछार करके होली का त्योहार मनाते थे।
होली 2018 मनाने के पीछे भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा पूतना नामक राक्षसी का वध करना भी माना जाता है। राक्षसी के मरने के कारण बृजवासी खुशी के चलते आपस में रंग खेलते है। वहीं ऐसी भी मान्यता है कि फाल्गुन महीने में शिव के गण रंग लगाकर नाचते और गाते थे।
हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस था जिसका प्रह्राद नाम पुत्र था। प्रह्राद भगवान विष्णु का बड़ा भक्त था लेकिन हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु का घोर विरोधी था। वह नहीं चाहता था कोई उसके राज्य में भगवान विष्णु की पूजा करें। वह अपने पुत्र को मारने का कई बार प्रयास कर चुका था लेकिन बार-बार असफल हो जाता था। तब हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रह्राद को मारने के लिए लिए अपनी बहन होलिका को भेजा।
होली 2018
1 मार्च
होलिका दहन मुहूर्त- 18:16 से 20:47
भद्रा पूंछ- 15:54 से 16:58
भद्रा मुख- 16:58 से 18:45
रंगवाली होली- 2 मार्च
पूर्णिमा तिथि आरंभ- 08:57 (1 मार्च)
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 06:21 (2 मार्च)
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