मां दुर्गा की आराधना और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए दुर्गा सप्तशती पाठ करने का विशेष महत्व है। दुर्गा सप्तशती के 700 श्लोकों में देवी-चरित्र का वर्णन है। वैसे तो कई घरों में दुर्गा सप्तशती का पाठ प्रतिदिन किया जाता है। परन्तु नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना अत्यधिक महत्वपूर्ण और शीघ्र फलदायक माना गया है। नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से अन्न, धन, यश, कीर्ति की प्राप्ति होती है।


श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ




मां दुर्गा के व्रत शुरू होने वाले हैं और भक्‍त 9 दिन तक पूरी एकाग्रता के साथ मां का ध्‍यान और पूजा-अर्चना करेंगे। नवरात्र के नौ दिनों में पूरे विधि-विधान से व्रत रखने के साथ ही दुर्गा सप्‍तशती का पाठ करने का भी विधान है। देवी आराधना हेतु दुर्गा सप्तशती पाठ का विशेष महत्व है।



दुर्गा सप्‍तशती का संपूर्ण पाठ करने में कम से कम 3 घंटे का समय लगता है। लेकिन आजकल काम के दबाव और ऑफिस समय से पहुंचने के चलते लोगों के पास दुर्गा सप्‍तशती का पूरा पाठ करने का पर्याप्‍त समय नहीं होता। मगर आपको निराश होने की जरूरत नहीं है। यदि एक दिन में पूरा पाठ न किया जा सके, तो आप नवरात्रि के नौ दिनों में प्रतिदिन एक-एक या दो - दो अध्यायों का क्रम से पाठ करते हुए श्री दुर्गा सप्तशती को, पूरा करें।



श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ में कवच, अर्गला, कीलक और तीन रहस्यों को भी सम्मिलत करना चाहिए। दुर्गा सप्तशती के पाठ के बाद क्षमा प्रार्थना अवश्य करना चाहिए, ताकि अनजाने में आपके द्वारा हुए अपराध से मुक्ति मिल सके।



अगर श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ संस्कृत में करना कठिन लगता हो और आप इसे पढ़ने में असमर्थ हों तो हिन्दी में ही सरलता से इसका पाठ करें। हिन्दी में पढ़ते हुए आप इसका अर्थ आसानी से समझ पाएंगे। आप पाठ करने के लिए गीताप्रेस गोरखपुर की दुर्गा सप्तशती खरीद लें भक्तो की सुविधा के लिए पुस्तक में संस्कृत के साथ हिंदी में सभी श्लोकों का अनुवाद दिया गया है।





श्री दुर्गा सप्तशती

पहला अध्याय - मेधा ऋषि का राजा सुरथ और समाधि का, भगवती की महिमा बताते हुए  मधु-कैटभ-वधका-प्रसंग सुनाना


दूसरा अध्याय - देवताओ के  तेज से देवी का प्रादुर्भाव और महिषासुर की  सेना का वध  


तीसरा अध्याय - सेनापतियों  साहित महिषासुर का वध 


चौथा अध्याय - इन्द्रादि देवताओं   द्वारा  देवी की स्तुति


पाँचवाँ अध्याय - देवताओँ द्वारा देवी की स्तुति, चण्ड -मुण्ड  के मुख से अंबिका के रूप  की प्रशंसा सुनकर शुम्भ  का उनके पास  दूत  भेजना और दूत का निराश लौटना


छठा अध्याय - धूम्रलोचन वध


सातवाँ अध्याय - चण्ड और मुण्ड का वध


आठवाँ अध्याय - रक्तबीज वध


नौवाँ अध्याय - निशुम्भ- वध


दसवाँ अध्याय - शुम्भ - वध


ग्यारहवाँ अध्याय - देवताओं द्वारा देवी की स्तुति तथा देवी द्वारा देवताओँ को वरदान


बारहवाँ अध्याय - देवी-चरित्रों के पाठ  का माहात्म्य


तेरहवां अध्याय - सुरथ और वैश्य को देवी का वरदान








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Sumegha Bhatnagar

I am an independent writer and blogger from Delhi. I Completed my graduation and masters in Hindi Honors from Delhi University. After that, I pursued an M.B.A. from IMT Ghaziabad. I blog, I write, I inform @WWW.99ADVICE.COM Here, I delve into the worlds of travel, fashion, relationships, spirituality, mythology, food, technology, and health. Explore stunning destinations, stay trendy with fashion insights, navigate the intricacies of relationships, ponder spiritual matters, unravel ancient myths, savor culinary delights, stay updated on tech innovations, and prioritize your well-being with health tips and many more fun topics!! Join me as we explore these diverse topics together!

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