भगवान शिव की उपासना के लिए सोमवार, प्रदोष, शिवरात्रि और सावन आदि का समय शुभ माना जाता है। मान्यता है कि सावन (हिन्दू माह श्रावण) के महीने में भगवान शिव व सोमवार व्रत का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। समस्त ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने वाले, पालने वाले एवं संहार करने वाले भगवान सदा शिव की महिमा तो वेद-पुराण भी नहीं कर सकते। केवल भगवान शंकर ही मात्र ऐसे देव हैं जो मानव और दानव दोनों के ईष्ट देव हैं।
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श्रावण का सम्पूर्ण मास मनुष्यों में ही नही अपितु पशु पक्षियों में भी एक नव चेतना का संचार करता है| प्रकृति अपने पुरे यौवन पर होती है और रिमझिम फुहारे प्रत्येक व्यक्ति के मन को आनंद से भर देती हैं| प्रकृति हरियाली और फूलो से धरती का श्रुंगार करती है परन्तु धार्मिक परिदृश्य से श्रावण या सावन मास भगवान शिव को ही समर्पित रहता है | सावन में मौसम का परिवर्तन होने लगता है | लेकिन सावन का माह का महत्व हमारे जीवन में इतना भर नहीं है श्रावण या सावन माह भगवान शिव की उपासना का माह भी माना जाता है और इस माह में सबसे पवित्र माना जाता है सोमवार का दिन। वैसे तो प्रत्येक सोमवार भगवान शिव की उपासना के लिये उपयुक्त माना जाता है लेकिन सावन माह में सोमवार व्रत का विशेष महत्व है।
ऐसी मान्यता है कि शिव आराधना से इस मास में विशेष फल प्राप्त होता है | श्रावण या सावन माह में भारत के सभी द्वादश ज्योतिर्लिंगों, जो की शिव जी के विशेष मंदिर है, की विशेष पूजा, अर्चना और अनुष्ठान की बड़ी प्राचीन एवं पौराणिक परम्परा रही है तथा इनके दर्शन का भी बहुत महत्त्व है। इस दिन महामृत्युंजय, शिवसहस्र नाम, रुद्राभिषेक, शिवमहिमा स्रोत, शिवतांडव स्रोत या शिवचालीसा आदि का पाठ करना बहुत लाभकारी होता है तथा काल सर्प दोष निवारण की विशेष पूजा का महत्वपूर्ण समय रहता है। शिव पूजन के पश्चात प्रभु शिव की आरती का गायन भी अवश्य करें।
धार्मिक मान्यता के अनुसार इस माह के प्रत्येक सोमवार के दिन भगवान शिव का व्रत रखना चाहिए, शिवलिंग या शिव प्रतिमा का गंगा जल या दूध से अभिषेक करना चाहिए। साथ ही भगवान शिव की प्रिय वस्तुएं जैसे भांग- धतुरा, बेलपत्र, शहद, फूलमाला, फूल, चन्दन,रोली आदि उनकी पूजा में अवश्य रखने का प्रयत्न करना चाहिए। श्रावण या सावन मास में शिव परिवार की विशेष पूजा की जाती है और पूरे माह भी व्रत रखा जाता है | इस महीने में प्रत्येक दिन स्कन्ध पुराण के एक अध्याय को अवश्य पढना चाहिए | श्रावण या सावन सोमवार व्रत की विधि अन्य सोमवार व्रत की तरह ही होती है। सावन के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव को जल अवश्य अर्पित करना चाहिए।
बाबा भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए आप भी सोमवार का व्रत कर रहे हैं, तो शिव व्रत कथा को पढ़कर या सुनकर इस उपवास को पूर्ण करें। आइये जानते हैं श्रावण या सावन मास के सोमवार व्रत कथा….
व्रत कथा
स्कंद पुराण की एक कथा के अनुसार सनत कुमार भगवान शिव से पूछते हैं कि आपको सावन माह क्यों प्रिय है। तब भोलेनाथ बताते हैं कि देवी सती ने हर जन्म में भगवान शिव को पति रूप में पाने का प्रण लिया था। पिता के खिलाफ होकर उन्होंने शिव से विवाह किया लेकिन अपने पिता दक्ष प्रजापति के भगवान शिव को अपमानित करने के कारण देवी सती ने योगशक्ति से शरीर त्याग दिया। इसके पश्चात उन्होंने दूसरे जन्म में पार्वती नाम से राजा हिमालय और रानी नैना के घर जन्म लिया। इस जन्म में भी शिव से विवाह हेतु उन्होंने युवावस्था में श्रावण या सावन माह में निराहार रहते हुए कठोर व्रत से भगवान शिवशंकर को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया। इसीलिए मान्यता है कि श्रावण में निराहार रह भगवान शिव का व्रत रखने से मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।
आदिकाल से श्रावण या सावन माह का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि श्रावण या सावन के सोमवार का व्रत करने से इच्छित वर की प्राप्ति होती है। यह वह मास है जब कहा जाता है जो मांगोगे वही मिलेगा | भोलेनाथ सबका भला करते है | अपने भोले स्वभाव के कारण भगवान शिव का एक नाम भोलेनाथ भी है। इसी कारण भगवान शिवजी से जुड़े व्रतों में किसी कड़े नियम का वर्णन पुराणों में नहीं है। सोमवार को उपवास रखना श्रेष्ट माना जाता है साथ ही श्रावण या सावन मास में व्रत रखने से भगवान शिव जीवन के सभी कष्टों का निवारण करते हैं।
" ॐ नम: शिवाय "
" हर हर महादेव "
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