हिन्दू पंचांग के अनुसार भाई दूज (Bhai Dooj) का त्यौहार, इस साल 03 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। भाई दूज का त्यौहार भाई बहन के स्नेह को सुदृढ़ करता है।
'भाई दूज' हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। दिवाली के पांचवे और अंतिम दिवस के रूप में भाई दूज मनाया जाता है। इस दिन से पांच दिन के दीवाली त्यौहार का समापन हो जाता है। हिन्दू धर्म में भाई-बहन के स्नेह-प्रतीक दो त्यौहार मनाये जाते हैं - एक रक्षाबंधन जो श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। दूसरा त्यौहार, 'भाई दूज' का होता है जो दीवाली के पश्चात मनाया जाता है।
भाई दूज को यम द्वितीया और भ्रातृ द्वितीया भी कहते हैं। भाई दूज का पर्व भाई-बहन के रिश्ते पर आधारित पर्व है, जिसे बड़ी श्रद्धा और परस्पर प्रेम के साथ मनाया जाता है। इस दिन बहनें भाइयों के स्वस्थ तथा दीर्घायु होने की मंगल कामना करके तिलक लगाती हैं तथा भाई के हाथों में एक नारियल रखती हैं। भाई की आरती करती हैं और मुंह मीठा करने के लिए उन्हें माखन मिस्री या मिठाई खिलाती हैं। भाई भी इस दिन बहन को यथाशक्ति उपहार देकर उसकी कुशलता एवं सुरक्षा का वचन देते हैं। यदि आपका भाई विवाहित हो, तो अपनी भाभी और अपने छोटे भतीजे और भतीजीयों को शुभ तिलक लगायें। यह दिन भाई-बहन के मध्य पवित्र प्रेम-बंधन का प्रतीक है। अलग-अलग जगह अलग-अलग प्रथाएं हो सकती है लेकिन सभी का उद्देश्य भाई की लम्बी उम्र के लिए प्रार्थना है।
भारत में हर त्यौहार की कथाएं होती हैं। इस त्यौहार की भी एक पौराणिक कथा है।
भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था जिनकी दो संतान हुई, यमराज तथा यमुना। यमुना अपने भाई यमराज से स्नेहवश बराबर निवेदन करती थी कि वे उसके घर आकर भोजन करें। लेकिन यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थे।
एक बार यमुना ने अपने भाई यमराज को भोजन करने के लिए बुलाया तो यमराज मना न कर सके और बहन के घर चल पड़े। कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर अचानक यमराज को खड़ा देखकर हर्ष-विभोर हो गई। प्रसन्नचित्त हो भाई का स्वागत-सत्कार किया तथा भोजन करवाया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से वर माँगने को कहा। तब बहन ने भाई से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आया करेंगे तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाए उसे आपका भय न रहे। यमराज 'तथास्तु' कहकर यमपुरी चले गए।
ऐसी मान्यता है कि जो भाई आज के दिन यमुना में स्नान करके पूरी श्रद्धा से बहनों के आतिथ्य को स्वीकार करते हैं उन्हें तथा उनकी बहन को यम का भय नहीं रहता। कहा जाता है इसी के बाद हर साल भाईदूज का त्यौहार मनाया जाता है।
भगवान चित्रगुप्त जी के हाथों में कर्म की किताब, कलम, दवात और जल है। ये कुशल लेखक हैं और इनकी लेखनी से जीवों को उनके कर्मों के अनुसार न्याय मिलता है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भगवान चित्रगुप्त की पूजा का विधान है। इस दिन कायस्थ समाज के लोग भगवान चित्रगुप्त और यमराज की मूर्ति स्थापित करके अथवा उनकी तस्वीर रखकर श्रद्धा पूर्वक सभी प्रकार से फूल, अक्षत, कुमकुम, सिन्दूर एवं भांति भांति के पकवान, मिष्टान एवं नैवेद्य सहित इनकी पूजा तथा आरती करते है। साथ ही वे इस दिन अपने सभी बहीखातो की भी पूजा करते है और फिर जाने अनजाने हुए अपराधों के लिए इनसे क्षमा याचना करते है। इनकी पूजा को दोपहर में करना सबसे अधिक शुभ माना जाता है। इसके अलावा इस पूजा को कलाम- दवात (पेन-इंक) की पूजा भी कहा जाता है
Tags: best bhai dooj gift, bhai dooj 2024, bhai dooj and chitragupta ki pooja hai, bhai dooj after diwali 2024, bhai dooj and chitragupta ki pooja in hindi, bhai dooj and chitragupta ki puja aarti, bhai dooj and chitragupta ki pooja vidhi, bhai dooj and chitragupta ki puja date, bhai dooj festival in hindi, bhai dooj ki kahani in hindi, bhai dooj kitni tarikh ko hai, bhai dooj kyu manate h, bhai dooj shubh muhurat 2021, भाई दूज एवं चित्रगुप्त जी की पूजा essay, chirtgupt ji ki puja aarti, chirtgupt ji ki puja image, chirtgupt ji ki puja vidhi in hindi
____
Post A Comment:
0 comments so far,add yours